Wednesday, October 13, 2010

Produre and Story of Sai Vrat in Hindi

Om Sai Ram Dear Readers,

In this post I have presented the rules and main story for observing fast of Sai Baba for 9 Thursdays to fulfill any vow or desire. I have observed this Vrat many times and was immensly benefitted. The © Shirdi Sai Baba Life Teachings and StoriesSai Baba Vrat Katha book from which the article has been taken was written by Nisha Jani in the year 2000 in Gujarati Language. With the increased demand ofSai Baba Devotees, it was published in Hindi Language also in the year 2002.

At first it was decided to give the book to the devotees free of cost. Day by day its demand increased and it was not possible for the author to give it free, so a nominal cost is now taken. The whole amount is again invested in printing the same book. Devotees from Gujarat can get it without any difficulty in almost all Sai Temples. But when it comes to other states, it is not available. So I present before you the same in Hindi. Sai Devotees can take the print outs of the procedure and story mentioned below in Hindi.

The main points such as the rules of observing the Vrat, concluding ceremony and story to be read has been covered here. Apart from this I would like to highlight some other points over and above this:
1. Devotees must chant Arti of Sai Baba at the end of their worship.
2. Offer Naivedhya to Sai Baba if you do the Vrat by taking food only one time.
3. It is stated in the end that for concluding ceremony one has to gift 5, 11 or 21 books to people as per their economic status. In states other than Gujarat the book is not available, so one can take 5, 11 or 21 print outs of the rules of observing the Vrat, concluding ceremony and story to be read from here only and distribute them.

श्री साईं बाबा व्रत के नियम

१. ये व्रत कोई भी स्त्री पुरुष और बच्चे भी कर सकते है

२. ये व्रत कोई भी जाती-पति के भेद भावः बिना कोई भी व्यक्ति कर सकता है

३. ये व्रत बहुत ही चमत्कारिक है ९ गुरूवार विधिपूर्वक करने से निश्चित ही इच्छित फल की प्राप्ति होती है

४. ये व्रत कोई भी गुरूवार को साईं बाबा का नाम ले कर शुरू किया जा सकता

५. सुबह या शाम को साईं बाबा के फोटो की पूजा करना किसी आसन पर पीला कपडा बिछा कर उस पर साईं बाबा का फोटो रख कर स्वच्छ पानी से पोछ कर चंदन या कंकु का तिलक लगाना चाहिये और उन पर पीला फूल या हार चढाना चाहिये अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़ना चाहिये और साईं बाबा का स्मरण करना चाहिये और प्रसाद बाटना चाहिये (प्रसाद में कोईभी फलाहार या मिठाई बाटी जा सकती है)

६. यह व्रत फलाहार लेकर किया जा सकता है (जैसे दूध, चाय, फल, मिठाई आदि) लेकर अथवा एक समय भोजन करके किया जा सकता है बिलकुल भूखे रहकर उपवास न किया जाय

७. ९ गुरूवार को हो सके तो साईं बाबा के मंदिर जाकर दर्शन किए जाए साईं बाबा के मंदिर न जा पाये तो (नजदीक मंदिर न हो) तो घर पर ही श्रद्धापूर्वक साईं बाबा की पूजा की जा सकती है

८. बहार गाव जाना हो तो भी उस वक्त व्रत चालू रखा जा सकता है

९. व्रत के समय स्त्रियों को मासिक की समस्या आए अथवा किसी कारण से व्रत न हो पाये तो उस गुरूवार को ९ गुरूवार की गिनती में न लिया जाए और उस गुरूवार के बदले अन्य गुरूवार करके ९ वे गुरूवार किया जाए

उद्यापन की विधि

१. ९ वे गुरूवार को उद्यापन करना चाहिए इसमें पांच गरीब को भोजन किया जाए (भोजन अपनी यथाशक्ति देना या करवाना)

२. साईं बाबा की महिमा एवं व्रत का फैलाव करने के लिए अपने सगे-सम्बन्धी या पडोसियों को यह किताबे ५, ११, २१ अपनी यथाशक्ति भेट दी जाए इस तरह व्रत का उद्यापन किया जाय

३. ९ वे गुरूवार को जो किताबे भेट देनी है उसका यथाशक्ति पूजा में रखिए और बाद में ही भेट दी जाए जिससे आपकी एवं अन्य व्यक्तियों की भी मनोकामना पूर्ण हो उपरोक्त विधि से व्रत करने से एवं विधिपूर्वक उद्यापन करने से निश्चित हो आपकी मनोकामना पूर्ण होगी ऐसा साईं भक्तो का विश्वास है

साईं व्रत कथा
कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे दोनों को एक-दुसरे के प्रति प्रेम-भाव था परन्तु महेशभाई का स्वाभाव झगडालू था बोलने की तमीज ही न थी आदोसी-पडोसी उनके स्वाभाव से परेशान थे, लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती धीरे-धीरे उनके पति का धंधा-रोजगार ठप हो गया कुछ भी कमाई नहीं होती थी महेशभाई अब दिन-भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिडचिडा हो गया

दोपहर का समय था एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दल-चावल की मांग की कोकिला बहन ने दल-चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया, वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख कीमत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया

महाराज ने श्री साईं के व्रत के बारे में बताया ९ गुरूवार (फलाहार) या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की ९ गुरूवार पूजा करना, साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना भूखे को भोजन देना, साईं व्रत की किताबे ५, ११, २१ यथाशक्ति लोगों को भेट देना और इस तरह साईं व्रतका फैलाव करना साईबाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करता है, लेकिन साईबाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरुरी है धीरज रखनी चाहिए जो उपरोक्त विधि से व्रत और उद्यापन करेगा साईबाबा उनकी मनोकामना जरुर पूर्ण करेंगे

कोकिला बहन ने भी गुरुर्वार का व्रत लिया ९ वे गुरूवार को गरीबो को भोजन दिया सैव्रत की पुस्तके भेट दी उनके घर से झगडे दूर हुए घर में बहुत ही सुख शांति हो गई, जैसे महेशभाई का स्वाभाव ही बदल गया हो उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया थोड़े समय में ही सुख समृधि बढ़ गई दोनों पति पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे एक दिन कोकिला बहन के जेठ जेठानी सूरत से आए बातो बातो में उन्होंने बताया के उनके बच्चे पढाई नहीं करते परीक्षा में फ़ेल हो गए है कोकिला बहन ने ९ गुरूवार की महिमा बताई साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएँगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना ज़रूरी है साईं सबको सहायता करते है उनकी जेठानी ने व्रते की विधि बताने के लिए कहा कोकिला बहन ने कहा की ९ गुरूवार फलाहार करके अथवा एक समय भोजन करके यह व्रत किया जा सकता है और ९ गुरूवार तक हो सके तो साईं मंदिर के दर्शन के लिए जाने को कहा और यह कहा की

- यह व्रत स्त्री, पुरुष या बच्चे कोई भी कर सकते है ९ गुरूवार साईं फोटो की पूजा करना
- फूल चढाना, दीपक, अगरबत्ती अदि करना प्रसाद चढाना एवं साईं बाबा का स्मरण करना आरती करना अदि विधि बताई
- साईं व्रत कथा, साईं स्मरण, साईं चालीसा अदि का पात करना
- ९ वे गुरुवार को गरीबो को भोजन देना
- ९ वे गुरुवार यह साईं व्रत की किताबे अपने सगे-सम्बन्धी, अडोसी-पडोसी को भेट देना

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया की उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबे जेठ के ऑफिस में दे थी इस बारे में उन्होंने लिखा के उनके सहेली की बेटी शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तै हो गई उनके पडोसी का गहेनो का डब्बा दम हो गया वह महीने के बाद गहनों का डिब्बा न जाने कोन वापस रख गया एसा अद्भुत चमत्कार हुआ था

कोकिला बहन ने साईं बाबा की महिमा महान है वह जान लिया था

हे साईं बाबा जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना


Disclaimer: Shirdi Sai Baba had never laid emphasis on fasting. A Devotee of Baba has started this vrat initially and the vrat has fulfilled many wishes (including mine too). So its upto the readers discretion to observe this vrat or not.

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